09 January 2018

साधना करनेके नियम और सावधानियाँ | Sadhana Karneke Niyam Aur Savdhaniyaan


राम राम दोस्तों, मै वैभवनाथजी इस वेबसाईट में आपका स्वागत करता हूँ. आज का विषय है साधना करने के नियम और सावधानियाँ.

   दोस्तों साधना में सफलता पाने के लिए कुछ नियम और सावधानियोंका पालन करना पड़ता है. साधना एक परीक्षा की तरह होती है. जिसमे सिर्फ दो ही रिजल्ट आते है पास या फेल. अगर पास हो गए तो १००% और फेल हो गए तो ०%. कुछ लोग साधना तो करते है अगर सफल हुए तो ठीक वरना कहते है की यह सब बकवास है मंत्र तंत्र कुछ नहीं होता इत्यादी.

साधना करनेके नियम और सावधानियां

     वैसे तो हर साधना के नियम अलग अलग होते है पर कुछ नियम हर साधना में एक समान होते है.

१. गुरु दीक्षा लेकर और गुरुदेव से आज्ञा लेकर ही कोई भी साधना करे. आपके गुरुदेव पर पूर्ण विश्वास और    श्रद्धा रखे.
२. साधना का मंत्र गुरुमुख से प्राप्त करे. मंत्र पर पूर्ण श्रद्धा रखे. खुद पर विश्वास रखे.
३. साधना शुरू करनेसे एक दिन पहले और साधना पूर्ण होनेके बाद एक दिन तक ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करे. मतलब कोई साधना २१ दिन की है तो आपको २३ दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना है. नाईट फ़ॉल हुआ तो भी ब्रह्मचर्य खंडित माना जाएगा.
४. साधना काल में शाकाहारी रहे. व्यर्थ चर्चा और किसीपर भी क्रोध ना करे. भूमि शयन करे. मतलब चटाई पर सोए. चादर और  तकिया ले सकते है.
५. मंत्र को पूरी तरह गुप्त रखे. साधना के विषय में और साधना करते वक्त होने वाले अनुभव आपके गुरुदेव को छोड़कर किसीको ना बताए.
६. साधना करते वक्त सबसे पहले शुचिर्भुत हो जाए. हो सके तो नहाले.
७. आसन के लिए ऊनी (भेड़ के काले बालोंसे बना हुआ) या कुश (एक विशिष्ट प्रकार की घास) का आसन इस्तेमाल करे.
८. आसन बिछाते वक्त आसन मंत्र का प्रयोग करे. और आसन को नमस्कार करे. फिर आसन पर बैठ कर शरीर कीलन मंत्र पढ़े और चाकुसे अपनी चारो तरफ गोला खींचे.
९. फिर गुरु और गणेश पूजन करे गुरु और गणेश के मंत्र की एक एक माला जाप करे और साधना में सफलता के लिए गुरुदेव और गणेशजी से प्रार्थना करे और साधना शुरू करे.
१०. साधना पूर्ण होनेसे पहले किसीभी हालत में आसन न छोड़े और रक्षा घेरेसे बाहर ना आए वरना आपको शारीरिक या मानसिक नुकसान हो सकता है.
११. साधना पूर्ण होने पर आसन के निचे जल छिड़क कर उस जल से तिलक करे.



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जय सद्गुरुदेव