राम राम दोस्तों, मै वैभवनाथजी इस वेबसाईट
में आपका स्वागत करता हूँ. आज हम बात करते है गुरुदेव प्राप्ति साधना की
शास्त्रों के अनुसार गुरुदेव का स्थान सबसे ऊँचा बताया जाता है | गुरुदेव के विषय में यह कहा जाता है कि यदि गुरुदेव और ईश्वर
दोनों एक साथ खडे हो तो पहले गुरुदेव के चरण स्पर्श करने चाहिए
क्योंकि गुरुदेव ने ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया
है |
एक बार काकभुसंडी जी भगवान
शिव का तप कर रहे थे तभी काकभुसंडी जी के गुरुदेव आयें | अपने गुरुदेव को देखकर काकभुसंडी जी खडे नहीं हुए , उनका ऐसा आचरण देखकर शिवजी काकभुसंडी जी से रुष्ट
हो गए और काकभुसंडी जी को श्राप दे दिया |
गुरुदेव का स्थान
तो भगवान शिव से भी ऊँचा होता है और गुरुदेव का अपमान करने पर भगवान शिव दण्डित करते है |
एक मान्यता के अनुसार शिव ही गुरुदेव का रूप धारण कर शिष्य का उद्धार करते है , पर यह भी सत्य है कि जब ईश्वर
कृपा होती है तभी गुरुदेव की प्राप्ति होती है और जब गुरुदेव की कृपा होती है तभी ईश्वर
की प्राप्ति होती है और इस तरह होनो ही एक दूसरे के पूरक है |
उदाहरण के लिए – राजस्थान और सहारा जैसे मरुस्थल को पानी की अधिक आवश्यकता है पर उस मरुस्थल में कभी बारिश नहीं होती , पर चेरापूंजी और उत्तराखंड में इतनी हरियाली है पर वहाँ पानी की आवश्यकता नहीं होने पर भी वर्षा होती है क्योंकि जहां पेड़ होते है वही वर्षा होती है और जहाँ वर्षा
होती है वही पेड़ होते है क्योंकि दोनों ही एक दूसरे
के पूरक है ठीक उसी प्रकार गुरुदेव और ईश्वर एक दूसरे के पूरक है |
प्रस्तुत साधना
से व्यक्ति को गुरुदेव की प्राप्ति होती है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है | भगवान
शिव कृपा कर उसके लिए गुरुदेव भेज देते है |
|| मंत्र ||
ॐ गुरु देवाय विद्महे यज्ञपुरुषाय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात |
OM GURU DEVAY VIDMAHE YAGYAPURUSHAY (YADNYAPURUSHAY) DHEEMAHI TANNO GURUHU PRACHODAYAT
|| विधि ||
इस साधना को गुरु पूर्णिमा या किसी भी पूर्णिमा से शुरू करे और शिवलिंग के पास बैठकर
लिंग पूजन करे और इस मंत्र का ११ माला जाप करे | ऐसा ४१ दिन करे | माला कोई भी इस्तेमाल की जा सकती है | साधना के दिनों में नहाते वक्त पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान
करे | ईश्वर कृपा से आपको गुरुदेव प्राप्त हो जायेंगे |
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जय सद्गुरुदेव