राम राम दोस्तों, मै वैभवनाथजी इस वेबसाईट में आपका स्वागत
करता हूँ. आज हम बात करते है शाबर शनि साधना की. शनिदेव से सारी सृष्टि डरती है पर वास्तव में शनि बड़े ही न्यायप्रिय है
! शनिदेव कभी भी सत्पुरुषो को नहीं सताते और दुष्ट पुरुषो को दंड देते है
!
शनि महाराज को ६वे ८वे
१०वे और १२वे भाव का पक्का करक माना जाता है और यदि शनि इन्ही भावों में अकेले आ जाए तो सोने पर सुहागा क्योंकि ज्योतिष का एक नियम है कारक कभी अपने भाव का नाश नहीं करता पर उसके साथ कोई दूसरा ग्रह ना हो
! यदि आप मजदूरों और निम्न जाति के लोगों का सम्मान करते हो तो शनि आपको बुरा फल देंगे ही नहीं
! शनि यदि ७वे भाव में नीच के भी हो तब भी बुरा फल नहीं देते क्योंकि ७वे भाव को पश्चिम दिशा माना गया है और यदि इस भाव में शनि नीच के भी हो तो उन्हें दिशा बल मिल जाता है
! शनि यदि लग्न में उच्च के भी हो तब भी देखने में आया है कि शनिदेव का प्रभाव अशुभ ही रहता है क्योंकि यह उनके शत्रु सूर्य की दिशा है
!
यदि आपकी कुंडली ना हो तो यह कैसे पता चले कि आपके शनि बुरा फल दे रहे है?
इस का एक आसान उपाए है
, यदि मंदिर से आपके जुते या चप्पल चोरी हो जाएँ तो समझिये कि आपके शनि बुरा फल दे रहे है
, इसी प्रकार यदि आपकी छत अचानक टूट जाए या आपकी भैस अचानक मर जाए तो समझे शनि बुरा फल दे रहे है
! इसी प्रकार यदि आप के घर की वृद्ध स्त्रिओ के घुटने में दर्द हो तो समझ लीजिये कि शनि आपकी कुंडली में चन्द्र को परेशान कर रहा है
! कई बार यह योग यदि गोचर में बन जाए तब भी आपके घर की स्त्रिओ को घुटनों में दर्द हो सकता है
!
कुछ लोगों को ओपरी कसर की शिकायत रहती है,
उनपर जादू-टोने बड़ी जल्दी असर करते है
, ऐसे लोगो की जन्म कुंडली में शनि राहू का सम्बन्ध होता है
! ऐसे लोगों को अपने घर में बांस की सीढ़ी नहीं रखनी चाहिए और ऐसे लोग अपने घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ ना रखे
! ऐसे लोग यदि अपने घर में लोहे की सीढ़ी रखे तो उसे भी लाल रंग करवाकर रखे ताकि शनि पर उसके शत्रु मंगल का प्रभाव आ जाए ! ऐसे लोग अपनी घर की सीढीओ की अच्छी तरह सफाई करे और भूल कर भी सीढ़ी के नीचे शौचालय ना बनाये
! इस साधना से शनिदेव जी का कैसा भी दोष हो
, चाहे शनिदेव आपकी कुंडली में कैसे भी हो…
शुभ फल देते है
! यह साधना इतनी अद्भुत है कि यदि आप पर साढ़ेसती या ढैया का अशुभ प्रभाव भी तो उसे शुभ प्रभाव में बदल देती है
! जीवन में एक बार साधना को करने से आप शनिदेव की अनेक पीड़ाओ से मुक्त रहते है और शुभ फल पाते है
!
|| मंत्र ||
सत नमो आदेश
! गुरूजी को आदेश
!
शनि राजा शनि राजा
सिमरु तोए शनि राजा
जल में सिमरु,
थल में सिमरु
रण में सिमरु,
वन में सिमरु
यहाँ सिमरु तहाँ होए सहाई
तुझे ग्रहपति सूर्य की दुहाई
!
यम यमुना की दुहाई
!
ब्रह्मा विष्णु महादेव की दुहाई
!!
SAT NAMO AADESH !
GUROOJEE KO AADESH !
SHANI RAAJAA SHANI
RAAJAA
SIMRU TOE SHANI
RAAJA
JAL ME SIMRU, THAL
ME SIMRU
RAN ME SIMRU, VAN
ME SIMRU
YAHAA SIMRU TAHAA
HOY SAHAAI
TUZE GRAHAPATI
SOORYA KEE DUHAAI !
YAM YAMUNAA KEE
DUHAAI !
BRAHMAA VISHU
MAHAADEV KEE DUHAAI !
|| विधि ||
किसी भी शनिवार से इसका जाप प्रारंभ करे
, यदि शनिवारी अमावस्या हो तो अधिक उत्तम है
! आप को इस मंत्र का ९६००० (
96000 ) जप तेल का दीपक जलाकर करना है और मंत्र जाप सूर्यादय से पहले या सूर्यास्त के बाद ही करे
! साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य रखे और साधना करते वक्त काले वस्त्र एवं काले आसन का ही प्रयोग करे
! माला काले हकीक की होनी चाहिए और पश्चिम दिशा की ओर मुख होना चाहिए
! ९६००० जप आपको ५१ दिनों में पूर्ण करने है
!
|| प्रयोग विधि
||
जब भी आप किसी मुसीबत में हो तो आप इस मन्त्र का ११ बार जप करे,
आपकी मुसीबत दूर हो जाएगी और यदि शुभ काम पर जाते समय भी इस मंत्र का ११ बार जप कर लिया जाए तो निश्चित तौर पर कार्य सिद्ध होता है
!
भगवान् शनिदेव आप सब पर कृपा करे
!
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जय सद्गुरुदेव