राम राम
दोस्तों, मै वैभवनाथजी इस वेबसाईट में
आपका स्वागत करता हूँ. आज हम बात करते है जाहरवीर छड़ी जाप साधना की ! गोगा जाहरवीर जी की छड़ी का बहुत महत्त्व होता है और जो साधक छड़ी की साधना नहीं करता उसकी साधना अधूरी ही मानी जाती है क्योंकि मान्यता के अनुसार जाहरवीर जी के वीर छड़ी में निवास करते है !
सिद्ध छड़ी पर नाहरसिंह वीर , सावल सिंह वीर , रख्ता वीर आदि अनेकों वीरों का पहरा रहता है !छड़ी लोहे की सांकले होती है जिसपर एक मुठा लगा होता है ! जब तक गोगा जाहरवीर जी की माड़ी
में अथवा उनके जागरण में छड़ी नहीं होती तब तक वीर हाजिर नहीं होते , ऐसी प्राचीन मान्यता है ! ठीक इसी प्रकार जब तक गोगा जाहरवीर जी की माड़ी अथवा जागरण में चिमटा
नहीं होता तब तक गुरु गोरखनाथ सहित नवनाथ हाजिर नहीं होते !
छड़ी अक्सर
घर में ही रखी जाती है और उसकी पूजा की जाती है ! केवल सावन और भादो के महीने में छड़ी निकाली जाती है और छड़ी को नगर में फेरी लगवाई जाती है , इससे नगर में आने वाले सभी संकट शांत हो जाते है ! जाहरवीर के भक्त दाहिने कन्धे
पर छड़ी रखकर फेरी लगवाते है ! छड़ी को अक्सर लाल अथवा भगवे रंग के वस्त्र पर रखा जाता है !
यदि किसी पर भूत प्रेत
आदि की बाधा हो तो छड़ी को पीड़ित के शरीर को छुवाकर उसे एक बार में ही ठीक कर दिया जाता है ! भादो के महीने में जब भक्त जाहर बाबा के दर्शनों के लिए जाते है तो छड़ी को भी साथ लेकर जाते है और गोरख गंगा में स्नान करवाकर जाहर बाबा की समाधी
से छुआते है ! ऐसा करने से छड़ी की शक्ति कायम रहती है !
यहाँ हम छड़ी का मंत्र
लिख रहे है जो हमारे पूर्वजों की धरोहर है और अनुभूत है
|| मन्त्र ||
सत नमो आदेश , गुरूजी को आदेश, ॐ गुरूजी जाहरवीर जाहरवीर सच्ची सरकार अला बला को ले जा सात समंदर
पार नीला घोडा भगमा भेष , खब्बे पैर पदम् नाग गल में विराजे भुरीया मस्तक शेषनाग आओ आओ बाबा जाहर गोरख गुरु की मन्न आन तेरी छड़ी कौन विराजे नारसिंह वीर गाजे सावलसिंह वीर गाजे किसके
हुक्म से गाजे गोरख गुरु के हुक्म
से गाजे ना गाजे तो चौथे किंगरे वाला ना कहायें नारी बामणी
का जाया ना कहायें नागे गुरां
की तेई झूठी हो जाये गोरख गुरु का चेला ना कहायें माता का पिया दूध हराम करे जाग रे जाग जाहरवीर को मन्न के जाग गोरख गुरु को मन्न के जाग नागे गुरु को मन्न के जाग बहन श्याम्कौर को मन्न के जाग माई मदानण
को मन्न के जाग गपुरी खेड़े
को मन्न के जाग हेमराज गधिले
को मन्न के जाग अस्त बली को मन्न के जाग नौ नाथों
को मन्न के जाग चौरासी सिद्धों को मन्न के जाग तेरे संग कौन चले भैरों
हनुमान रख्ता चले माई कालका चले माई मदानण चले कुढडीया वीर चले बावरी
वीर चले अनंत कोटि सिद्ध चले मेरे चलाये ना चले मेरे गुरु के चलाये चले दादा गुरु के चलाये चले गुरु गद्दी के चलाये
चले गुरु गोरखनाथ के चलाये चले नाथ सिद्धों की तलवार वीरों का वार छड़ी ले जाये अला बला को सात समुन्दर पार इतना जाहर छड़ी जाप सम्पूर्ण सही नाथ जी गुरुजी को आदेश आदेश !!
SAT NAMO AADESH, GUROOJI KO AADESH, OM GUROOJI JAAHARVEER JAAHARVEER
SACHCHEE SARKAAR ALAA BALAA KO LE JAA SAAT SAMANDAR PAAR NEELA GHODAA BHAGMAA
BHESH, KHABBE PAIR PADMA NAAG GAL ME VIRAAJE BHUREEYAA MASTAK SHESHNAAG AAO AAO
BAABAA JAAHAR GORAKH GURU KEE MANN AAN TEREE CHHADEE KAUN VIRAAJE NARSINHA VEER
GAAJE SAAVALSINHA VEER GAAJE KISKE HUKMA SE GAAJE GORAKH GURU KE HUKMA SE GAAJE
NAA GAAJE TO CHAUTHE KINGARE VALAA NAA KAHAAYE NAAREE BAAMANEE KAA JAAYAA NAA
KAHAAYE NAAGE GURAAN KEE TEI JHOOTHEE HO JAAYE GORAKH GURU KAA CHELAA NAA
KAHAAYE MAATAA KAA PIYAA DOODH HARAAM KARE JAAG RE JAAG JAAHARVEER KO MANN KE
JAAG GORAKH GURU KO MANN KE JAAG NAAGE GURU KO MANN KE JAAG BAHAN SHYAAMKAUR KO
MANN KE JAAG MAAI MADAANAN KO MANN KE JAAG GAPUREE KHEDE KO MANN KE JAAG
HEMRAAJ GADHILE KO MANN KE JAAG ASTA BALEE KO MANN KE JAAG NAU NAATHONKO MANN
KE JAAG CHAURAASEE SIDDHONKO MANN KE JAAG TERE SANG KAUN CHALE BHAIRO HANUMAAN
RAKHTAA CHALE MAAI KAALKAA CHALE MAAI MADAANAN CHALE KUDHHADEEYA
VEER CHALE BAAVRI VEER CHALE ANANTA KOTEE SIDDHA CHALE MERE CHALAAYE NAA
CHALE MERE GURU KE CHALAAYE CHALE DADA GURU KE CHALLAYE CHALE GURU GADDEE KE
CHALAAYE CHALE GURU GORAKHNAATH KE CHALAAYE CHALE NAATH SIDDHON KEE TALVAAR VEERON
KAA VAAR CHHADEE LE JAAYE ALAA BALAA KO SAAT SAMAUNDAR PAAR ITNA JAAHAR CHHADEE
JAAP SAMPOORNA SAHEE NAATH JEE GURUJEE KO AADESH AADESH
|| विधी ||
इस मंत्र
को हररोज शाम के समय 41 बार पढे , और दूध में थोडा जल मिलाकर छड़ी पर छिटा दे और गुग्गल अग्नि
में सुलगाकर धुप दे ! ऐसा 41 दिन लगातार करे ! छड़ी सिद्ध हो जाएगी !
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जय सद्गुरुदेव